जड़ता मानसिक, प्राणिक, भौतिक, अवचेतन होती है । भौतिक जड़ता मानसिक जड़ता उत्पन्न कर सकती है । प्राणिक जड़ता लगभग हमेशा भौतिक को निष्प्राण, मलिन तथा सुस्त बना देती है । - श्रीअरविन्द

प्रतीक-चिन्ह

 

श्रीअरविन्द का प्रतीक:-

अवरोहणात्मक त्रिभुज सत-चित-आनन्द का द्योतक है।
आरोहणात्मक त्रिभुज जीवन, प्रकाश और प्रेम के प्रत्युत्तर का द्योतक है।
दोनों का मिलन स्थल - केंद्रीय चतुष्कोण - पूर्ण अभिव्यक्तिा है जिसके केंद्र में कमल - परम पुरूष का अवतार, चतुष्कोण के बीच- पानी- विविधता, सृष्ट्रि का प्रतिनिधित्व करता है।


श्रीमाँ का प्रतीक:-

मध्यवर्ती वृत्त भागवत चेतना का द्योतक है। चार पंखुड़ियों, श्रीमाँ की चार शक्तियों की प्रतिनिधि हैं। बारह दल, श्रीमाँ की उनके कार्य के लिये अभिव्यक्त द्वादश शक्तियों के द्योतक हैं।

 


श्रीअरविन्द-सोसायटी का प्रतीक:-

यह श्रीअरविन्द के प्रतीक जैसा ही होता है परन्तु दोनों त्रिभुजों के शिरोबिंदु जोड़ दिए जाते हैं जिससे इसे हीरे का रूप मिल जाता है।
श्रीअरविन्द के अनुसार हीरा श्रीमाँ के सधनतम प्रकाश का प्रतीक है।